- पानी की समस्या के समाधान हेतु समाज को करनी होगी पहल
- समाजसेवी गजेन्द्र सिंह से हुयी वार्ता के कुछ अंश

नैनी, प्रयागराज। यमुनापार के अधिकांश भागों में बसे हजारों गांवों के लाखों लोग पेयजल के लिए हर रोज जद्दोंजहद कर रहे है। वैसे तो यह समस्या साल भर रहती है परंतु गर्मियों में यह समस्या आपदा का रूप ले लेती है। पाठा के गांवों में ये समस्या कई दशकों से है लेकिन आश्चर्य की बात है कि शासन प्रशासन लोगों की इस पीड़ा से वाकिफ होते हुए भी आंख मूंदकर अनजान बना हुआ है। लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए नहरों तालाबों का गंदा पानी पीने को मजबूर है जिससे कई बिमारियों से प्रभावित होकर काल के गाल में समा रहे है। शासन स्तर पर पेयजल को पाठा के गांवों तक पहुंचाने के लिए कई दर्जन योजनाएं बनी हुयी है परन्तु कुछ तकनीकी खराबी से बंद पड़ी है तो कुछ केवल सरकारी धन को चपत लगाने तक ही सीमित रही और जो चल रही है वो कुछ गांवों तक ही अनियमित रुप से अशुद्ध पेयजल उपलब्ध करा रही है। गर्मी के पहले ही तालाब, नहर, कुंआ तक सूख गये। नाम मात्र के बचे हैंडपंप भी हाफ रहे है, पेयजल के लिए इंसान के साथ-साथ पशु पंक्षी भी बेहाल हो गये है लोगों को प्यास बुझाने के लिए कोसों दूर तक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। शासन के साथ क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि भी सुध नहीं ले रहे है सबसे ज्यादा भयावह स्थिति शंकरगढ़, जसरा, मेजा, माण्डा और कोरांव विकास खंड की है जब कि करछना,कौंधियारा, उरुआ एवं चाका विकास खण्ड़ भी पेयजल समस्या से प्रभावित है।
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गजेन्द्र सिंह (समाजसेवी) |
यह समस्या आज की नहीं, दशको से है लेकिन पेयजल का यह भयावह संकट चुनावी मुद्दा भी नही बन पाता। अभी भी किसी राजनीतिक दल मे आपदा रुपी इस समस्या को दूर करने की न तो कोई नीति दिखती है न ही नियत यमुनापार मे पानी की समस्या के समाधान हेतु वर्षों से प्रयासरत, चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता एवं जल समस्या पर समझ रखने वाले गजेन्द्र प्रताप सिंह से हुयी बातचीत के कुछ अंश :-
क्षेत्र में पानी के संकट का मुख्य कारण क्या है ?
- विलुप्त होते पारम्परिक जल संग्रह स्त्रोत अति भूजल दोहन ने पानी के इस संकट को विकराल कर दिया है।
जल समस्या के समाधान की क्या नीति होनी चाहिए ?
- गिरते भूजल स्तर को रोका जाए रोजमर्रा के दैनिक उपयोग में पानी को बचाने का प्रयास करें। विलुप्त हो रहे तालाब कुओं को पुर्नाजीवित व गहरीकरण कर वर्षा के जल का संचय करें।गड्डे व बंजर जमीन पर बांध बनाकर वर्षा जल को सहेजे।
जल संरक्षण के लिए सत्ता व समाज की क्या भूमिका हो ?
- पहले के समय में राजा, प्रजा व व्यापारी वर्ग ने मिलकर जल संग्रहण के लिए तालाब व कुओं का निर्माण किया,जल संरक्षण के इस सामुदायिक प्रयास को अब भूला दिया गया है इसके लिए सत्ता व समाज दोनो जिम्मेदार है।
पानी के समस्या के निदान हेतु शासन प्रशासन से क्या अपेक्षा रखते है ?
- सरकार छोटी नदीयों तालाबों को कब्जा मुक्त करने एवं जल संरक्षण के प्रति लोगों को आगाह करने हेतु जल जागरुकता अभियान चलाये ये प्रयास केवल कागजी कार्यवाही नहीं वरन् धरातल पर भी दिखे,आम जन भी अपने स्तर पर प्रयास करें।
जल संरक्षण की शुरुआत कहां से होनी चाहिए ?
- वास्तव में इसकी शुरुआत सर्वाधिक जल संकट झेल रहे गांवो में गांव की सरकार (ग्राम पंचायत) द्वारा ही सम्भव है। ग्रामीण अपनी ग्राम स्तरी समिति बना करके स्थानीय स्तर पर प्रयास के साथ गांव पंचायत,राज्य एवं केन्द्र सरकार को हकीकत से अवगत कराते हुए उपायों को लागू कराये।
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