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पलिया कला मेंआक्सीजन के अभाव में टूट गई कई मरीजों की सांसों की डोर

पलिया कला मेंआक्सीजन के अभाव में टूट गई कई मरीजों की सांसों की डोर



देवा टीवी संवाददाता/अजय कुमार

लखीमपुर खीरी। पलिया कलां खीरी नगर के अस्पताल में इन दिनों ऑक्सीजन के अभाव में मरीजों की सांसों की डोर टूट रही है। यहां पर मरीज भगवान भरोसे आ रहे हैं और बेबस तीमारदार जान बचाने की गुहार लगाते फिर रहे हैं। असहाय एवं लाचार आंखों के सामने ही अपनों को तड़पता देख ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए तीमारदार बिलख रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह से पलिया को अपने चपेट में लिया है उससे स्वास्थ्य विभाग की सभी व्यवस्थाएं ध्वस्त होती दिखाई देने लगी है। स्थिति यह है कि रात से लेकर सुबह सात बजे तक किसी भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी का फोन नहीं उठ रहा है। किसी तरह सीएमओ का फोन उठ भी रहा है तो सीएमएस को जिम्मेदार बताकर इंतजाम से किनारा कस ले रहे हैं। वहीं ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों का फोन भी नहीं उठा रहा है। ऐसे में पलिया अस्पताल उपचार के लिए पहुंच रहे मरीज और उनके परिजन के सामने विकट समस्या खड़ी हो जा रही है। जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता का दावा करने वाले अस्पताल के डाक्टरों द्वारा बाहर से दवा मंगाया जा रहा है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि जिला प्रशासन पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर होने का दावा कर रहा है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार अधिकारी सीएमओ अपनी लाचारी का रोना रोकर किसी तरह पल्ला झाड़ ले रहे हैं।

सांस फूलने एवं सीने में संक्रमण के दौरान हालत गंभीर होने पर लोग किसी तरह मरीज को लेकर जिला अस्पताल के आपातकक्ष में तो पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां पर्याप्त उपचार नहीं मिल रहा है। ऑक्सीजन लेवल कम होने पर ऑक्सीजन भी नहीं मिल पा रहा है। किसी तरह पर्चा बनाकर उन्हें मेडिकल जैसे विभिन्न वार्डो में भर्ती कर दिया जा रहा है। इसके बाद रात भर मरीज बेड पर जीवन को बचाने के लिए जद्दोजहद कर ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में तड़प रहे हैं। सिलेंडर मिलने की आस में जहां परिवार के सदस्य कभी अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर तो कभी बाहर महंगे दाम देकर उपलब्ध कराने की मिन्नत कर रहे हैं वहीं कोरोना संक्रमण की वजह से मरीज की सांस थम जा रही है। इस दुर्व्यवस्था के बीच अस्पताल प्रशासन पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है और आमजन अपने मरीजों को लेकर इधर-उधर भटकने को विवश है।

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