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"आपत्ति काल का सन्यासी योद्धा"



"आपत्ति काल का सन्यासी योद्धा"
UP. News : Especial


1. उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस संक्रमण की आहट सुनाई पड़ते ही इंसेफेलाइटिस जैसी महामारी को काबू में करने वाले प्रदेश के मा़ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कोविड 19 से निपटने के लिए अपने तेजतर्रार, अनुभवी व अहर्निश  काम करने वाले अधिकारियों की एक टीम -11 बनायी और स्वयं  इस टीम के कप्तान बने। दृढ़ संकल्प किया कि कोरोना संक्रमण की चेन को हम तोडे़गे और किसी भी स्थिति में इसे कम्युनिटी संक्रमण में नहीं जाने देंगे। जिस दिन इसके टीके बन जाएंगे, उस दिन से यह महामारी न रहकर बीमारी भर रह जाएगी।
        इसके खात्मे के लिए रेड जोन, ऑरेंज जौन व ग्रीन जोन में बांटकर सघन निरीक्षण, सैनिटाइजेशन, मास्क, ग्लव्स, पीपी किट, स्वच्छता किट इत्यादि का प्रबंध कर, कोविड-19 के अस्पतालों की संख्या व बेड की क्षमता बढ़ाई . सबसे पहले योगी जी ने बाहर गये श्रमिकों, छात्रों व पर्यटकों की प्रदेश वापसी कराई. सबके लिए भोजन की व्यवस्था की, चाहे राशन कार्ड हो या ना हो .निशुल्क राशन देना। विद्यार्थियों की फीस न बढ़ाना, मजदूरों, महिलाओं, किसानों व कामगारों के खातों में पैसे भेजना, बच्चों को मिड डे मील का राशन देना व राह चलते भूखे प्यासे लोगों की सुधि लेना संवेदनशील सरकार का यह पहला कार्य था. ग्राम रोजगार सेवकों से लेकर सभी वर्गों पर भरपूर ध्यान देकर, सकारात्मक सोच व प्रबल इच्छाशक्ति से योगी जी इस महामारी से बचाव कर श्रमिकों को अपने ही प्रदेश में काम देने की व्यवस्था में लग गए।



2. श्रमिकों की व्यथा कथा से व्यथित सरकार ने तय किया कि हम प्रदेश के श्रमिकों को यहीं रोजगार देंगे। इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन इसी दिशा में एक सार्थक प्रयास रहा। आज उत्तर प्रदेश में देश विदेश के बहुत से उद्यमी अपने उद्योग  लगाने के लिए प्रयत्नशील हैं। एक्सप्रेस वे के  दोनों किनारों पर औद्योगिक गलियारा बनाया जा रहा है। गंगा यमुना का मैदान व भरपूर खनिज पदार्थों वाला प्रदेश होने के नाते यहां कृषि, व्यापार, बाजार, उद्योग, पर्यटन इत्यादि के विकसित होने की अपार संभावनाएं है।
     एक जिला एक उत्पाद योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। काम करने वाले को बैठा देना  सबसे बड़ी सजा है। सरकार इसे भलीभांति समझ रही है। इसलिए 3 से 6 माह के अंदर लगभग 1500000 लोगों को रोजगार देने की रचना योजना बन रही है।
        जीवन व जीविका के बीच संघर्ष टालने हेतु दिहाड़ी मजदूरों पर विशेष ध्यान देना है। कुटीर उद्योगों द्वारा हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। सरकार की सहायता से घरेलू उद्योग कम पूंजी व कम स्थान में रोजगार के भरपूर अवसर देंगे। गांव में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत तथा नगरों में नगर पंचायत, नगर पालिका, महापालिका परिषद व नगर निगमों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। ग्राम स्वराज की सफलता हेतु ई ग्राम स्वराज पोर्टल, मोबाइल एप व गांव के कामकाज को डिजिटल बनाने की दिशा में कार्य हो रहा है।



3. उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा का केंद्र रहा है। लाकडाउन की स्थिति में तरुणाई की अंगड़ाई ढीली पड़ गई। शीघ्रता से योगी सरकार ने बाहर फंसे छात्रों को उनके घर पहुंचाया। पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाने वाला प्रयाग विश्वविद्यालय यहीं है, जहां देश दुनिया के विद्यार्थी पढ़ने आते रहे हैं। प्रयागराज सिविल सर्विसेज की तैयारी का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। प्राचीन व आधुनिक शिक्षा की राजधानी काशी, तकनीकी शिक्षा का केंद्र कानपुर सब तो उत्तर प्रदेश में ही हैं। इसके बाद भी प्रतियोगी छात्रों का पलायन चिंता की बात है। प्रतिस्पर्धी युग में प्रतियोगी छात्रों की ज्ञान पिपासा शांत कर ही पलायन को रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर ,आगरा, लखनऊ , गोरखपुर इत्यादि शहरों को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान व प्रतियोगी विद्याओं का सागर बनाया जाय। शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही साथ इंजीनियरिंग, मेडिकल, सिविल सर्विसेज व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का देश दुनिया का केंद्र उत्तर प्रदेश बने। कोटा से लौटे छात्रों से संवाद में योगी जी से एक छात्रा ने कहा हम लोग बहुत प्रसन्न हैं। दक्षिणा में आपको क्या दें। योगी जी ने कहा आप अपने लक्ष्य में सफल होइए, यही दक्षिणा है. हम हर तरह की शिक्षा की व्यवस्था यहीं करेंगे ताकि छात्रों को बाहर न जाना पडे़।


4. मानव प्राणी के जन्म, विवाह व मृत्यु उसके सुख-दुख के चरमोत्कर्ष भाव हैं.आज कोरोना महामारी में हम इस भाव को सामूहिक रूप से व्यक्त नहीं कर पाते। आपदा व महामारी से निपटने की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं है, बल्कि हमारा भी नागरिक कर्तव्य बनता है की हम नेतृत्व पर विश्वास रखें और धैर्य पूर्वक तन, मन ,धन से सरकार का सहयोग कर इस संकट का सामना करें।
         प्रभु श्रीराम 14 वर्ष का वनवास झेले। 14 दिन का क्वारंटीन हमारे लिए भी 14 वर्ष के वनवास से कम नहीं है। यूं तो संकटकाल में राष्ट्रीयता की भावना और मजबूत होती है, फिर भी व्यक्ति जब दुनिया में कहीं शरण नहीं पाता है तो भाग कर अपनी जन्मभूमि पर आता है और यहां पर पहले से ही लट्ठ लेकर लोग खड़े रहते हैं। गांव का क्वारंटीन घर जेल का फांसी घर जैसा लगने लगता है. अपमान का यह भाव सम्मान में बदलना चाहिए। हमें रोग से लड़ना है रोगी से नहीं। शारीरिक दूरी व सामाजिक लगाव कोरोनावायरस की रामबाण औषधि है।


लेखक - भिखारी प्रजापति
प्रदेश अध्यक्ष विश्व हिंदू महासंघ उत्तर प्रदेश.
सदस्य,  राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उत्तर प्रदेश.

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