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राष्ट्रीय सेवा योजना इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा "आत्मनिर्भर भारत, नए आयाम अवसर एवं चुनौतियां" विषयक अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित




प्रयागराज। राष्ट्रीय सेवा योजना इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज द्वारा "आत्मनिर्भर भारत: नए आयाम अवसर एवं चुनौतियां" विषयक अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार शनिवार को पूर्वाहन 10:30 बजे प्रारंभ हुआ। अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के संरक्षक प्रोफेसर आर. आर. तिवारी, माननीय कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, प्रोफेसर असीम मुखर्जी, अधिष्ठाता वाणिज्य संकाय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज, डॉक्टर आनंद सिंह, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल अमेरिका, सत्येंद्र ठाकुर चीफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर ,बोस कॉरपोरेशन, बोस्टन अमेरिका, प्रोफेसर मानस पांडे ,उपाध्यक्ष आईसीए तथा अधिष्ठाता प्रबंधन संकाय, वीबीएस पूर्वांचल विश्वविद्यालय ,जौनपुर ,प्रोफेसर अनिल थागट ,निदेशक ,जबलपुर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट ,जबलपुर ,श्री हर्षवर्धन बाजपेई, विधायक इलाहाबाद उत्तरी विधानसभा क्षेत्र प्रयागराज, डॉ अशोक श्रोती, क्षेत्रीय निदेशक , राष्ट्रीय सेवा योजना, लखनऊ, भारत सरकार एवं डॉ० अंशुमाली शर्मा विशेष कार्य अधिकारी एवं राज्य संपर्क अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से  वेबीनार को सार्थकता प्रदान की। आयोजन सचिव, डॉ नीलिमा सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर एवं पूर्व कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना ,राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के उद्देश्य तथा प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना प्रस्तुत की गई और उसके लिए उन्होंने 5 स्तम्भ बताए। उस संकल्पना को स्पष्ट करने हेतु समाज के विभिन्न वर्ग के प्रतिष्ठित विद्वानों को आमंत्रित किया गया है जिससे जनमानस तक संकल्पना के विविध आयामों अवसरों एवं चुनौतियों को पहुंचाया जा सके ।डॉ मंजू सिंह ,संगोष्ठी संयोजिका एवं कार्यक्रम समन्वयक, राष्ट्रीय सेवा योजना ,इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने वेबीनार में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना का उद्देश्य उच्च शिक्षा में अध्ययनरत स्वयंसेविकों को राष्ट्र निर्माण में योगदान हेतु प्रशिक्षित एवं सक्षम बनाना है और संगोष्ठी के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य से युवाओं को सुपरिचित कराने की पहल की गई है ।डॉ० सोमपाल सिंह ,सह संयोजक वेबीनार ने अतिथियों का वाचिक सम्मान करते हुए कहा कि वेबीनार में उपस्थित चिकित्सा ,शिक्षा, राजनीति, समाज सेवा तथा साइबर सिक्योरिटी के विद्वत जन निश्चित रूप से प्रतिभागियों को आत्मनिर्भर होने व आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। प्रोफेसर आरआर तिवारी जी, कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि संगोष्ठी का विषय बड़ा ही प्रासंगिक है तथा कोविड-19 संकट के समय हमें सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए आगे बढ़ना है। आपने सोशल डिस्टेंसिंग मास्क का प्रयोग तथा हाथ के सैनिटाइजेशन को जीवन का अंग बनाने का आवाहन किया तथा कोविड-19 महामारी के कारण कक्षाओं के संचालित ना होने के विकल्प के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध  शिक्षण सामग्री और योजनाओं के बारे में बताया।वेबीनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर असीम मुखर्जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है। अमूल उत्पाद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किस प्रकार से हम अलग-अलग क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हो सकते हैं और स्थानीयता को महत्व दे सकते हैं। हमें चीन सहित अन्य देशों पर निर्भर होने की स्थान पर स्वयं का उत्पाद बढ़ाना होगा तथा आत्मनिर्भर होने के लिए शिक्षा व्यवस्था इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर ध्यान देना होगा तथा वह कल फॉलो कल को सदैव दिमाग में रखना होगा. डॉक्टर आनंद कुमार  सिंह जी ने  इमरजेंसी सेवा में संलिप्तता से वेबीनार में  उपस्थित न होने पर  अमेरिका से  प्रेषित पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन वीडियो के माध्यम से कोविड इम्पैक्टस एंड विजन फॉर फ्यूचर क्लिनिकल एंड हेल्थ केयर बिजनेस सेक्टर  विषयक व्याख्यान में  कोविड-19 के संदर्भ में उपस्थित अवसरों परपर प्रकाश डाला ।डॉ अशोक श्रोति सर ने राष्ट्रीय सेवा योजना और युवाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा की राष्ट्रीय सेवा योजना कौशल विकास के विविध कार्यक्रमों द्वारा युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश विगत वर्षों से कर रहा है । श्री सती जी ने कहा कि महामारी में अवसर हैं और हम सब व्यक्तिगत रूप से भी कहीं ना कहीं आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुए हैं युवाओं का आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि जब जब राष्ट्रपति आपदा आती है राष्ट्र मजबूत होता है उसके केवल पुनर्निर्माण की आवश्यकता होती है और यह पुनर्निर्माण संस्कार और संस्कृति के साथ ही हो सकता है। युवाओं में इतनी शक्ति है कि वे निश्चय कर लें तो आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना में अवसर का लाभ उठाकर स्वयं और राष्ट्र को आगे बढ़ा सकते हैं। श्री सत्येंद्र ठाकुर ने बोस्टन से वेबीनार  को संबोधित करते हुए कहां कि हम किस प्रकार से भूमंडलीकरण में एक दूसरे से घनिष्ठ संपर्क के बावजूद अपनी व्यक्तिगत सूचनाओं का संरक्षण कर सकते हैं और उसके दुरुपयोग से बचाव कर सकते हैं । आपने विविध उदाहरणों को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन से प्रस्तुत कर हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए तथा किस प्रकार से हम अपनी सूचनाओं को सुरक्षित रख सकते हैं इसके विषय में बताया आपने कहां की हम आत्मनिर्भर सही अर्थों में नहीं हो पाएंगे जब हम अपने डाटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी का निर्वहन करें।प्रोफेसर मानस पांडे जी ने अपने संबोधन में चीन के उत्पादों का वर्णन करते हुए कहा कि हमें सस्ता एवं टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन करना होगा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल उत्पादन व बाजार को प्रयुक्त करना होगा हमें तकनीक का प्रयोग करके स्थानीय उत्पाद को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना होगा।प्रोफेसर अनिल थागट जी ने भारत के आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर कदम  के संदर्भ में युवाओं के लिए उपलब्ध अवसरों एवं चुनौतियों पर प्रकाश डाला । श्री धागड. जी ने कहां की आत्मनिर्भर भारत एक लंबी प्रक्रिया है और हमें अपने यहां उपलब्ध तकनीक व कौशल को आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भरता प्राप्त करनी होगी हमें परंपरागत गहनों संगीत तथा टेलीमेडिसिन पर ध्यान देना होगा युवाओं को स्थानीय स्तर पर विभिन्न स्थानों को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करके रोजगार सृजन का प्रयास करना चाहिए उन्होंने कहा जो सोएगा वह खोएगा जो जागेगा वह पाएगा।डॉ० अंशुमाली शर्मा जी ने अपने उद्बोधन में कहा की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना कहीं ना कहीं गांधी जी के आदर्शों के अनुकूल है। आत्मनिर्भर भारत बनाना भारत के लिए अवश्यंभावी है जो गांधी जी के छोटे आत्मनिर्भर स्वायत्त गांवों की संकल्पना से संभव है। हमें गांवों को मजबूत करना होगा और वहां के परंपरागत ज्ञान को आधुनिक ज्ञान वह तकनीक से सामंजस्य स्थापित करना होगा। श्री हर्षवर्धन वाजपेई जी ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना बहुत सरल नहीं है। इसका अर्थ अपना लाभ वह दूसरों को हानि पहुंचाना नहीं है। इसका अर्थ यह नहीं कि हमारा विदेश से व्यापार बंद हो जाएगा वरन हमें गुणवत्ता बढ़ाने तथा तकनीक का प्रयोग करने के लिए आवश्यकता पड़ने पर अन्य देशों से संबंध बनाना होगा। हमें आत्मनिर्भर होने के लिए क्रूड आयल तथा सोने के संग्रहण पर होने वाले व्यय में कटौती की तरफ ध्यान देना चाहिए आंकड़ों से उन्होंने बताया कि किस प्रकार से क्रूड आयल और स्वर्ण आयात में भारत की सर प्लस पूंजी लग जाती है और रुपए का मूल्य बढ़ नहीं पाता है।संगोष्ठी का अंतिम पड़ाव प्रश्न उत्तर एवं इंटरेक्शन का था जिसमें प्रतिभागियों ने अतिथियों से प्रश्न पूछे अपनी शंकाओं का समाधान किया और साथ ही साथ कुछ नए विचार भी प्रस्तुत किए। डॉ मंजू सिंह जी ने अतिथियों का तथा प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस वेबीनार में विभिन्न राज्यों राजस्थान ,तेलंगाना ,यूपी बिहार, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, महाराष्ट्र ,वेस्ट बंगाल ,मध्य प्रदेश , नई दिल्ली से 1000 से अधिक की संख्या में शिक्षकों, विद्यार्थियों , शोधार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया तथा फेसबुक लाइव यूट्यूब वाह जूम एप से वेबीनार के प्रतिभागी बने और अपनी उपस्थिति से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के आयोजन को सफल बनाया।

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