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रामसागर तालाब में फिर गूंजे पावन स्वर, भगवान राम की स्मृति से जुड़ा स्थल कर रहा है संरक्षण की पुकार


रामसागर तालाब में फिर गूंजे पावन स्वर, भगवान राम की स्मृति से जुड़ा स्थल कर रहा है संरक्षण की पुकार


देवशीष श्रीवास्तव


नैनी। प्रयागराज के नैनी स्थित चकराना तिवारी गांव में मौजूद ऐतिहासिक रामसागर तालाब एक बार फिर चर्चा में है। यह तालाब न केवल प्राकृतिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि इसकी जड़ें भगवान श्रीराम की पावन स्मृतियों से जुड़ी हैं। मान्यता है कि भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जब चित्रकूट की ओर प्रस्थान कर रहे थे, तो उन्होंने यहीं कुछ समय विश्राम किया था। माता सीता की प्यास बुझाने के लिए लक्ष्मण जी ने बाण चलाकर जलधारा निकाली थी, जो आगे चलकर तालाब का रूप ले गई। 

करीब 250 वर्षों से भी अधिक पुराना यह तालाब आज भी अपनी धार्मिक और पर्यावरणीय महत्ता के लिए जाना जाता है। राम जानकी मंदिर के महंत नारायण दास बताते हैं कि इस पवित्र स्थल पर हजारों कछुए और मछलियाँ निवास करती हैं, जो प्रकृति के संतुलन का सुंदर प्रतीक हैं। महंत जी बताते हैं कि इस तालाब की धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए 1999 में तत्कालीन विधायक पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी ने यहां चार छतरियां और पक्के घाट का निर्माण कराया था।

आज हालांकि यह घाट जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और सौंदर्यीकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही है। महाकुंभ जैसे महापर्व पर जहां अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ, वहीं यह पवित्र स्थल अब भी शासन की उपेक्षा झेल रहा है।

महंत नारायण दास ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि रामसागर तालाब के संरक्षण और सौंदर्यीकरण के लिए विशेष कदम उठाए जाएं, जिससे यह स्थान फिर से धार्मिक और प्राकृतिक श्रद्धा का केंद्र बन सके।

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