शिवलिंग ब्रह्म का स्वरूप एवं प्रकृति का प्रतीक है : सतानंद जी महाराज
महारुद्राभिषेक एवं पार्थिव शिवलिंग का किया गया निर्माण
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प्रयागराज। कर्तव्य पथ परिवार के तत्वाधान में आयोजित में मुंशी राम प्रसाद की बगिया नारायण वाटिका मुट्ठीगंज में श्री शिव महापुराण की कथा के तृतीय दिवस पर कथा का रसपान कराते हुए पूज्य श्री सतानंद महाराज ने कहा कि पापी व्यक्ति भी जब प्राश्चित करते हुए।
भगवान शिव का चिंतन मनन करता है तो भगवान शिव उस पर भी कृपा करते हैं और वो पाप मुक्त हो जाता और और शिव पुराण की कथा भक्तों को निष्पाप कर देता और आगे व्यास जी ने कहा कि संत ही भंगवत प्राप्ति का मार्ग इसलिए जिसके जीवन में संत आगमन होता है तो समझ लीजिए उसके जीवन में भगवंत प्रवेश करने वाले हैं और आगे व्यास जी ने आज की कथा में शिवलिंग की महात्म्य की कथा सुनाई और कहा शिवलिंग ब्रह्म का स्वरूप एवं प्रकृति का प्रतीक है कथा के मुख्य यजमान सपना आर्या जी रही। मीडिया प्रभारी राजेश केसरवानी ने बताया की कथा के पूर्व महा रुद्राभिषेक एवं पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया गया।
कथा की महाआरती किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पूज्य कौशल्या नंद गिरी ने किया
आरती में कुमार नारायण, सतीश चंद्र केसरवानी , मोहित केसरवानी, राम जी केसरवानी, पार्षद नीरज गुप्ता,साधना चतुर्वेदी, उर्मिला केसरवानी ,राजेश केसरवानी , शैलेंद्र गुप्ता, सांई बाबा,पिंटू कुमार, अजय अग्रहरि,आशा केसरवानी, उषा केसरवानी, धीरेंद्र चतुर्वेदी, आदि सैकड़ों भक्तगण रहे।
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